Sunday, March 15, 2009

जीवन से भरी तेरी आँखें

सफर फ़िल्म का यह गाना मुझे किशोर दा द्बारा गाये हुए सभी गानों में कुछ विशेष लगता है । इसमे जीवन दर्शन झलकता है । इस गाने के बोल इतने सुंदर है की बार बार सुनने को मन करता है । तस्वीर बनाए क्या कोई क्या कोई लिखे तुझपे कविता ... ये लाइन दिल को झकझोर देता है .....१९७० में यह फ़िल्म आई थी जिसका यह गाना इन्दीवर ने लिखा है और संगीत कल्याण जी आनंद जी ने दिया है ।

जीवन से भरी तेरी आँखें
मजबूर करे जीने के लिए
जीने के लिए
सागर भी तरसते रहते हैं
तेरे रूप का रस पीने के लिए
पीने के लिए
जीवन से भरी तेरी आँखें

तस्वीर बनाए क्या कोई
क्या कोई लिखे तुझ पे कविता
रंगों छंदों में समायेगी- २
किस तरह से इतनी सुन्दरता,
सुन्दरता ...
एक धड़कन है तू दिल के लिए
एक जान है तू जीने के लिए
जीने के लिए
जीवन से भरी तेरी आँखें

मधुबन की सुगंध हैं साँसों में
बाहों में कमल की कोमलता
किरणों का तेज है, चहरे पे- २
हिरणों की है, तुझ में चंचलता,
चंचलता ...
आँचल का तेरे है तार बहुत
कोई चाक जिगर सीने के लिए
सीने के लिए
जीवन से भरी तेरी आँखें
मजबूर करे जीने के लिए
जीने के लिए
जीवन से भरी तेरी आँखें..

1 comment:

ktheLeo (कुश शर्मा) said...

यकीनन आप ने एक सुन्दर रचना को उसका सही सम्मान किया है। वास्त्व में गीत सुन्दर है।आज के गीतकार पानी भरते नज़र आते हैं,इन दिगज्जों के आगे।Keep writing & moving ,you will reach your destination.