Tuesday, May 12, 2009

अपना दिल तो आवारा ......

खुबसूरत गीत .... हेमंत दा की आवाज में .....
क्या मिठास है ....कालजयी रचना और संगीत ......
मन को मदहोश कर देते है .....स्कुल के दिनों की याद ताजा हो जाती है .....


Tuesday, May 5, 2009

खोया खोया चाँद ......

खोया खोया चाँद .....खुला आसमान ...आंखों में सारी रात जायेगी ।
एक खुबसूरत आवाज और वो भी रफी साहब की .....मन भरता ही नही क्या करे ।
देवानंद ने गाने को अमर बना दिया है ..... शरीर तो देखिये ..कितनी बेचैनी है ।
हाव भाव कमाल के है .....बड़ी ही खूबसूरती के साथ फिल्माया गया है यह गाना ।
प्रेमिका से बिछड़ने पर जो दर्द है उस दर्द को आवाज में रफी साहब ने और
देवानंद साहब ने परदे पर बखूबी उतारा है । आप भी देखिये .......


Sunday, May 3, 2009

न तुम हमें जानो न हम तुम्हे जाने .....

हेमंत दा की आवाज में जादू है ..मदहोश कर देता है । कई साल पहले इस गाने को सुना था , तब लगा था की किशोर दा की आवाज है । बाद में पता चला की ये आवाज हेमंत दा की है ।
प्रस्तुतीकरण भी तो देखिये जनाब देवानंद गाने के बोल शुरू करते है ..उस वक्त फ़िल्म की हिरोइन वहीदा रहमान सोई हुई रहती है । आवाज सुन जब वह जगती है तो आँखें अलसाई हुई जैसे गानों ने जबरदस्ती जगा दिया हो.... ..एकदम नेचुरल लगता है ।
नींद से जागने के बाद आवाज को ऐसे खोजती है जैसे नींद में चल रही हो । ब्लैक सारी में किसी खुबसूरत परी से कम नही लग रही और आँखें ..कुछ मत पूछिये केवल देखिये कहानी ख़ुद ब ख़ुद बयां हो जायेगी । यहाँ ब्लैक एंड ह्वाईट फ़िल्म में इतनी सुंदर दिखी है.....इतनी सुंदर तो रंगीन फिल्मों में भी नही दिखी ।
ये मौसम ये रात चुप है ...ये होठों की बात चुप है ..खामोशी सुनाने लगी ये दास्ताँ .....
तो फ़िर देर किस बात की है , खामोशी से इस गाने को सुना जाय .....






"Baat Ek Raat Ki" [1962] is an Indian Hindi film directed by Shankar Mukherjee. Starring Dev Anand and Waheeda Rehman. Music is by S D Burman.... Hemanta Kumar Mukhopadhyay is singer.

Saturday, May 2, 2009

किसी की मुस्कुराहटों ......

दिल को छू लेने वाला अंदाज..... इस गाने को सुन और देख मेरा गाँव याद आता है .....बड़ी बेफिक्री से घुमा करते थे ..धमा चौकडी मचाते हुए..... यहाँ को राज कपूर साहब ने तो कमाल ही कर दिया ..मुकेश साहब की आवाज इनपर इतनी सटीक बैठती है की गाने को देखने और सुनने से कभी मन ही नही भरता ...
क्या अंदाज है ...टोपी पहने झोला लटकाए हुए ..गाँव की गलियों में सड़क पर गीत गाते हुए.....भिखारी से भी मांग कर खाना ...वाकई निराला अंदाज ....हाथ नमस्कार करने के अंदाज जब कपूर साहब उठाते है ...तो चेहरा इतना भोला लगता है ...भाई गाँव के छोरे का दर्शन हो जाता है .......बार- बार देखता सुनता हूँ ..हर बार कोई न कोई अर्थ निकल ही आता है ..मन ही मन गीतकार को धन्यवाद देता हूँ ..काश !आज भी ऐसे गीत बनते ......