मुकेश की आवाज में मुझे ''माझी नैया ढूढे किनारा गीत काफी अच्छा लगता है । अभी सुन ही रहा हूँ। मेरी जिंदगी भी एक माझी की तरह ही है ... जो लगातार किनारे की तलास कर रहा है .....अफ्शोश अभी तक नही मिला ।
खोज अभी जारी है । आशा और निराशा की किरणों ने मन को बेचैन कर दिया है । छल-छल बहती जीवन-धारा ही अब मेरा संगीत है । किसी ना किसी की खोज में है...... ये जग सारा । एक लाइन है कभी ना कभी तो समझोगे तुम ये इशारा.... मांझी का इशारा ।
॥कभी ना कभी तो मिलन होगा, तुमसे हमारा ।। मांझी नैया ........ ढूंढें किनारा ।
1 comment:
you can find it on youtube
http://www.youtube.com/watch?v=HPYhaJm-Q9M
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